लखनऊ: अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। उत्तर प्रदेश में सभी राजनीतिक दल सियासी समीकरण को मजबूत करने, गठबंधन करने और रणनीति बनाने में जुटे हैं। इस दौरान भाजपा और जदयू के गठबंधन की ख़बरें सामने आ रहीं हैं। बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में BJP और JDU एक साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। दरअसल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी जदयू का विस्तार करने जा रहे हैं। नीतीश कुमार ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर दी है। ऐसे में बिहार की ही तरह जदयू यूपी में भी भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है।
जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच जदयू ने चुनावी गठबंधन को लेकर दो बार बातचीत की है। बीते दिनों जदयू ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस संबंध में बात की थी। इसलिए यूपी में जदयू और भाजपा के गठबंधन को लेकर ख़बरें तेज हो गईं है और जल्द ही इसकी सार्वजनिक घोषणा किए जाने की जानकारी है। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि कुछ दिनों पहले ही जदयू के महासचिव केसी त्यागी ने मीडिया से बात करते हुए बताया था कि बिहार में जदयू एनडीए में भाजपा के साथ है तो उत्तर प्रदेश में भी जदयू गठबंधन के लिए बीजेपी को ही पहली प्राथमिकता देगा। लेकिन अगर सीटों को लेकर कोई और बात होती है तो हम किसी और के साथ भी गठबंधन कर सकते हैं। दरअसल जदयू को उत्तर प्रदेश से अपने विस्तार के लिए काफी आशाएं है। बिहार से सटे राज्य उत्तर प्रदेश में कुर्मी समुदाय की बड़ी जनसंख्या निवास करती है और अति पिछड़े समुदाय की भी बड़ी आबादी है। जदयू का कहना है कि यूपी के करीब दो दर्जन सीटों पर उसका दबदबा है। कुल मिलाकर कहा जाए तो जदयू का पुरा ध्यान प्रदेश के कुर्मी, कोयरी और भूमिहार समुदाय पर है। वहीं भाजपा ने कुर्मी समुदाय से आने वाले स्वतंत्र देव सिंह को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाया हुआ है। इसलिए जदयू को लगता है कि भाजपा के साथ हाथ मिलाकर कुर्मी समुदाय को अपनी तरफ खींचा जा सकता है। गौरतलब है कि अगर भाजपा और जदयू उत्तर प्रदेश चुनाव में एक साथ आते हैं तो नीतीश कुमार योगी आदित्यनाथ के लिए वोट मांगते नज़र आ सकते हैं। क्योंकि जदयू का चेहरा नीतीश कुमार हैं और अगर भाजपा उन्हें प्रदेश में सीटें देती हैं तो वे चुनावी प्रचार में सामने आ सकते हैं। ऐसे कयास इसलिए लगाए जा रहे हैं क्योंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार भाजपा-जदयू उम्मीदवार के लिए वोट मांगते देखे गए थे।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में लगभग ऐसी तीन दर्जन विधानसभा और 8 से 10 लोकसभा सीटें हैं जिनपर कुर्मी समुदाय की निर्णायक भूमिका है। प्रदेश के संत कबीर नगर, उन्नाव, श्रावस्ती, बलरामपुर, अकबरपुर, जालौन, मिर्जापुर, सोनभद्र, बरेली, सिद्धार्थ नगर, बस्ती, बाराबंकी, कानपुर, कौशांबी, इलाहाबाद, सीतापुर, फतेहपुर, एटा, बरेली और लखीमपुर प्रतापगढ़ और बहराइच में कुर्मी समुदाय की बड़ी संख्या निवास करती है।
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