कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 10 मई को होंगे जबकि इसके परिणाम 13 मई को घोषित किये जायेंगे। कर्नाटक विधानसभा की सभी 224 सीटों के लिए वोटिंग एक ही चरण में 10 मई को कराई जाएगी। कर्नाटक में कुल 5.21 करोड़ मतदाता हैं।
पंजाब, उत्तर प्रदेश समेत 4 राज्यों की 5 विधानसभा सीटों पर भी 10 मई को उपचुनाव कराने की घोषणा की गई है। इन उपचुनाव के लिए भी वोटों की गिनती 13 मई को ही की जाएगी और उसी दिन नतीजे आ जायेंगे।
जिन चार राज्यों की विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होंगे उनमे उत्तर प्रदेश की 2 सीटें छानबे और स्वार, पंजाब की एक मात्र जालंधर, ओडिशा की भी एक ही सीट झारसुगुड़ा, मेघालय की सोहियोंग सीट शामिल हैं।
अनुमानतः चुनाव आयोग ने आज केरल की वायनाड लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव की तारीख का एलान नहीं क्या। मानहानि के एक मामले में सज़ा मिलने के बाद, वायनाड से सांसद रहे राहुल गाँधी की लोकसभा सदस्य्ता रद्द कर दी गई है।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कर्नाटक विधानसभा और 4 अन्य राज्यों की 5 विधानसभा सीटों के लिए मतदान की तारीख का एलान करते हुए कहा कि हमने पहले एक प्रक्रिया शुरू की थी जिसके तहत जो लोग 1 अप्रैल को 18 साल के हो जायेंगे वो भी इस बार के चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे।
कर्नाटक विधानसभा में मौजूदा बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार का कार्यकाल 24 मई को पूरा हो रहा है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इस बार भी मुख्य मुकाबला भाजपा, कांग्रेस और एचडी कुमारस्वामी की JDS के बीच रह सकता है लेकिन इस बार कोई नै तस्वीर भी देखने को मिल सकती है, जिसमे कांग्रेस-भाजपा का सीधा मुक़ाबले का अनुमान लगाया जा रहे है। पिछली बार कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और JDS एक गठबंधन में मिलकर चुनाव लड़े थे लेकिन इस बार JDS ने अलग चुनाव लड़ने का मन बनाया है।
2018 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा 104 सीटों के साथ सबसे बड़ीपार्टी बन कर उभरी थी जबकि 78 सीटें हासिल आकर कांग्रेस दूसरे और 37 सीटों एक साथ JDSतीसरे नंबर पर रही थी। ऐसे में कर्नाटक विधानसभा में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल सका था। फिर भी भाजपा नेता बीएस सरकार बनाने का दावा करते हुए 17 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले लिया था लेकिन सदन में बहुमत साबित नहीं कर सके। जिसके बाद येदुरप्पा को 23 मई को इस्तीफा देना पड़ा था। येदुरप्पा के इस्तीफे के बाद बाद कांग्रेस-JDS की गठबंधन सरकार बनी और कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाया गया।
कर्नाटक विधानसभा की सियासत ने 14 महीने बाद फिर करवट ली और कांग्रेस और JDS के कुछ विधायकों ने अपनी अपनी पार्टियों से बगावत करते हुए भाजपा के तरफ चले गए। अपने विधायकों की इस बगावत के बाद कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। येदियुरप्पा ने इन बागी विधायकों को भाजपा में शामिल कराया और 26 जुलाई 2019 को 219 विधायकों का समर्थन दिखाते हुए एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए।
येदुरप्पा के साथ एक अजीब घटना उस वक़्त घटी जब भाजपा आलाकमान ने 2 साल बाद अचानक ही उन्हें इस्तीफा देने को कहा जिसके बाद राज्य की कमान बसवराज बोम्मई को सौंप दी गई और फिलहाल वह भाजप के नेतृत्व वाली सरकार में मुख्यमंत्री बने बैठे हैं। इस घटनाक्रम से येदुरप्पा पार्टी हाई कमान से खासे नारज भी बताये गए, हालांकि पार्टी अब एक बार फिर उन्हें मनाने में लगी हुई है।
इस बार कर्नाटक विधानसभा चुनाव में तस्वीर बदल भी सकती है जिसके बाद कांग्रेस को अच्छी बढ़त मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है। राज्य में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भरपूर जोश है और वो भाजपा सरकार को बदलने का दमख़म भर रहे हैं।
मानहानि के एक मामले में 2 साल की सज़ा होने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गाँधी की लोकसभा सदस्य्ता रद्द कर दी गई थी। जिसके बाद सड़क से संसद तक कांग्रेस पार्टी आक्रामकरुख इख़्तियार करती हुई दिख रही है।
बताया जा रहा है कि राहुल गाँधी का ये मुद्दा कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सर चढ़ कर बोलेगा और इसका सीधा फायदा कांग्रेस पार्टी को मिल सकता है।
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