नए कृषि कानून के खिलाफ पंजाब में किसानों का विरोध प्रदर्शन अभी भी जारी है। किसानों ने साफ कह दिया है कि जब तक केंद्र सरकार कृषि कानून को नहीं बदलती, तब तक वह ऐसे ही प्रदर्शन करते रहेंगे। केंद्र सरकार के बुलावे पर बुधवार पंजाब के किसान संगठनों का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली में केंद्र सरकार के अधिकारियों से मुलाक़ात करने वाला है।
उस दौरान केंद्र सरकार किसानों के सामने अपना पक्ष रखेगी। और उन्हें भरोसे में लेने की कोशिश करेगी। इसके बाद किसान संगठन आगे की रणनीति तय करेंगे। आंदोलन खत्म करने को लेकर 15 अक्टूबर को पंजाब सरकार के साथ किसान संगठन की बैठक होगी।
बैठक से पहले किसानों ने पंजाब सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि वह 14 अक्टूबर को होने वाली कैबिनेट मीटिंग में केंद्रीय कृषि कानून के खिलाफ एक विशेष विधानसभा सत्र बुलाने की तारीख तय करे।
पंजाब के किसानों के आंदोलन ने अब एक नई मुश्किल खड़ी कर दी है। पंजाब के थरमल प्लांट कोयले की सप्लाई के लिए पश्चिम बंगाल और झारखण्ड पर निर्भर है। किसानों ने रेलवे ट्रैक पर कब्ज़ा कर लिया है। इस वजह से कोयले का परिवहन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में थर्मल प्लांट के पास कोयले की कमी हो गई है।
पंजाब के थर्मल प्लांट में रोजाना लगभग 4000 मेगावाट बिजली पैदा की जाती है। अब इसे कम करके 2000 मेगावाट कर दिया गया है। इस मामले पर पंजाब सरकार के मंत्री तृप्त राजेंद्र सिंह बाजवा ने कहा है कि केंद्र सरकार को जल्द ही इस मामले पर ठोस कदम उठाने होंगे नहीं तो स्थिति बिगड़ सकती है।
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